भारत की प्रमुख नदी परियोजनाएं bharat ki pramukh nadi ghati pariyojanayen in hindi

 

        भारत की प्रमुख बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाएं

 

 

  दामोदर घाटी परियोजना Damodar ghati pariyojana

 

इस परियोजना का निर्माण दामोदर नदी पर अमेरिका के टैनेसी घाटी परियोजना के अनुसार हुआ है दामोदर नदी में आने वाली भयंकर बाढ़ के कारण इसे बंगाल का शोककहते हैं सन 1948 में दामोदर घाटी निगम की  स्थापना की गयी यह परियोजना विश्व के दूसरे नंबर की हैं

 

  भाखड़ा नांगल परियोजना Bhakhada Nangal pariyojana

 

इस परियोजना का निर्माण पंजाब राज्य के जिले में हुआ है इसके अंतर्गत समतल नदी पर भाखड़ा नामक स्थान पर बनाया गया है  यह भारत की सबसे बड़ी परियोजना है भाखड़ा बांध विश्व का दूसरा सबसे ऊंचा बांध है इसकी ऊंचाई 226 मीटर है इस बांध के पीछे गोविंद बल्लभ सागर नामक विशाल जलाशय (हिमाचल प्रदेश)है

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श्री-शैलम परियोजना Shrishailam Pariyojana

श्री-शैलम बाँध आंध्र प्रदेश के कुर्नुल जिले में श्रीशैलम के समीप कृष्णा नदी पर बनाया गया है| यह बाँध नल्लाभाला की पहाड़ियों के गहरे गार्ज  में बनाया गया है| | इसकी कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 1670 मेगावाट है|

 

  हीराकुंड परियोजना  Hirakund pariyojana

 

यह ओडिशा राज्य की महत्वपूर्ण नदी-घाटी परियोजना है यह महानदी से 14 किलोमीटर ऊपर हीराकुंड नामक स्थान पर बनाई गई है इसका मुख्य उद्देश्य महानदी में प्रतिवर्ष आने वाली भयंकर बाढ़ को रोकना है इस परियोजना से उड़ीसा के महा नदी डेल्टा का बहुमुखी विकास हुआ है इसलिए इसे उसड़ी का नया तीर्थ कह कर पुकारते हैं

 

  रिहन्द बांध परियोजना rihand pariyojana

 

यह उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी परियोजना है यह परियोजना 1954 में बनना आरंभ हुई और 1962 ई. में इसने कार्य आरंभ किया सोनभद्र जिले में पिपरी नामक स्थान पर सोन की सहायक नदी रिहंद पर, रिहंद बांध बनाया गया इस परियोजना के अंतर्गत ओबरा नामक स्थान पर ही 300 मेगावाट क्षमता वाला जल विद्युत शक्ति गृह बनाया गया है रिहंद बांध के पीछे गोविंद बल्लभ सागर नामक एक कृत्रिम झील बनाई गई है जो भारत की सबसे बड़ी कृत्रिम झील है

 

जायकवाड़ी परियोजना Jayakwadi Pariyojana

इस परियोजना को महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में जायकवाड़ी गाँव के निकट गोदावरी नदी पर जायकवाड़ी बाँध बनाया गया है| इस बाँध की कुल लंबाई लगभग 10 किमी. है| इस परियोजना के ठीक पीछे नाथ-सागर जलाशय स्थापित किया गया है| इस बाँध का मुख्य उद्देश्य महाराष्ट्र के मराठवाडा क्षेत्र में सिंचाई क्षमता में बढ़ोत्तरी करना है  इस परियोजना से महाराष्ट्र के कई जिलोॆ जैसे - परभानी, औरंगाबाद, बीद, अहमदनगर, और  जलना जिलों की सिंचाई होती है| यहाँ पर 12 मेगावॉट की क्षमता का विद्युत गृह लगाया गया है|

 

 

 

  तुंगभद्रा परियोजना tugbhadra pariyojana

 

यह कर्नाटक और आंध्रप्रदेश राज्य सरकारों की सम्मिलित परियोजना है कृष्णा की सहायक तुंगभद्रा नदी पर कर्नाटक राज्य के बेल्लारी जिले में मल्लापुरम नामक स्थान के निकट 1956 में 2441 मीटर लंबा और 50 मीटर ऊंचा बांध बनाकर पम्पासागर जलाशय बनाया गया है

 

   नागार्जुन सागर परियोजना nagarjun sagar pariyojana

 

दक्षिणी भारत की यह सबसे मुख्य परियोजना है तेलंगाना के नलगोंडा जिले में कृष्णा नदी पर बनाई गई है विद्वान नागार्जुन के नाम पर इस सागर का नाम नागार्जुन सागर रखा गया इस बाँध का निर्माण सन् 1955 और 1967 के बीच हुआ था|

 

 

सुवर्ण रेखा बहुउद्देशीय परियोजना Subarnarekha bahuuddeshiya pariyojana

यह झारखंड, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल की संयोजित परियोजना है| खरकाई नदी पर इचा  बाँध और एक बैराज़ बनाया गया है| इसमे स्वर्ण रेखा नदी पर चांडिल बाँध बनाया गया है|  इस परियोजना से कई नहरें निकाली गयी हैं| यहाँ 8 मेगावाट की एक विद्युत इकाई भी लगाई गयी है| यह मुख्यतः सिंचाई परियोजना है|

 

 

  इंदिरा गांधी नहर परियोजना indira gandhi nahar pariyojana

 

यह परियोजना नवंबर 1984 तक राजस्थान नहर परियोजना के नाम से जानी जाती थी अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की मृत्यु के पश्चात उनकी याद में इस परियोजना का नाम इंदिरा गांधी नहर परियोजना कर दिया गया एशिया की सबसे बड़ी मानव निर्मित नहर परियोजना जिसे  मरू गंगा और मरुस्थल की जीवन रेखा के रूप में भी जाना जाता है

 

  टिहरी बांध परियोजना tihari bandh pariyojana

 

टिहरी बांध विश्व का पांचवा तथा एशिया का सबसे बड़ा बांध है टिहरी उत्तराखंड का लगभग 186 वर्ष पुराना शहर है इस शहर के समीप टिहरी बांध बनाया गया है सन 1972 में योजना आयोग ने टिहरी बांध परियोजना को स्वीकृति दी थी 1978 में सिंचाई विभाग द्वारा बांध का निर्माण कार्य शुरू किया गया 

 

केन-बेतवा लिंक परियोजना ken-betava link pariyojana

यह परियोजना 2005 में शुरू की गई थी केेन तथा बेतवा दोनों ही यमुना की सहायक नदियां हैं दोनों ही मध्यप्रदेश तथा उत्तर प्रदेश में बहती हैं दोनों नदियों को आपस में जोड़ने की कड़ी के रुप में काम करती है ये परियोजना है इस परियोजना से बुंदेलखंड के अति शुष्कबाय क्षेत्र को फायदा मिलेगा ये परियोजना महत्वाकांक्षी नदी जोड़ो परियोजना का शुरुआती रूप है

 

 

फरक्का बैराज परियोजना farkka bairaj pariyojana

यह परियोजना गंगा और हुगली नदी प्रणाली की नजदीकी को बढ़ाने के लिए और गंगा नदी का जल हुगली नदी में मिलाने के लिए बनाई गई थी| यह परियोजना सन् 1963 में प्रारंभ हुई थी  इस परियोजना में पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में फरक्का के निकट 2225 मी. लंबा एक बैराज़, जल को मोड़ने के लिए बनाया गया है| एक फीडर कैनाल इलाहाबाद-हल्दिया अंतर्देशीय जलमार्ग – 1 पर भागीरथी नदी की जल क्षमता बढ़ाने के लिए बनाई गयी है|इस बैराज़ में 109 गेट हैं और यहाँ र्राइव 60 नहरे निकली गयी है| इस बैराज़ से फरक्का सुपर थर्मल पावर स्टेशन को जल आपूर्ति होती है|

 

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